“Corona Shayari”, On Various Situations of Corona Kaal

A unique article by Bhaumik Trivedi on what our Famous Poets would have said on various situations of Corona Kaal in form of shayari.

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कभी कभी मैं सोचता हूँ अगर इस कोरोना काल में मिर्ज़ा ग़ालिब, जॉन ऐलिया जैसे शायर होते तो उनका रिएक्शन क्या रहता ? वो क्या कहते ? और वही हमारे लिविंग लेजेंड्स जैसे की गुलज़ार सा’ब, राहत इन्दोरी सा’ब इन सब के दिमाग में भी जाने क्या आता होगा अपने आस पास का ये माहौल देखकर !

तो बस इन्ही खयालो के आधारपर इक काल्पनिक आर्टिकल आपके मनोरंजन के लिए पेश करता हूँ

 

               कोरोना काल मे जौंन एलिया होते तो बार बार ज़ुनज़लाहत में यही कहते कि जानी,

अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है

 

             और कोई जौंन को बार बार टेस्ट करवाने को कहता तो जौंन ख़ुद ही कह देते कि देखो भई,

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने

 

              तो लॉकडाउन में आम आदमी की बोरिंग हो चुकी ज़िन्दगी पर मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम यही फ़रमाते,

 

सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूँही तमाम होती है

             तो वहीं 1000 का ज़ुर्माना मांगने पर अपनी दिल्ली के मिर्ज़ा ग़ालिब चौंक के पुलिसवालो से कहते कि मियाँ,


             
हद चाहिए सज़ा में उक़ूबत के वास्ते
आख़िर गुनाहगार हूँ काफ़र नहीं हूँ मैं

 

            और दो दिन से लगातार खाँस रही महबूबा से मिलकर बॉलीवुड के मशहूर लिरिसिस्ट साहिर लुधियानवी मन ही मन मे कहते कि,

तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ

 

           तो फिर बार बार हाथ सेनेटाइस करते किसी शख़्स को देख राहत इंदौरी सा’ब धीरे से बोलते,
           
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं

 

           वहीं वैक्सीन को लेकर हर रोज अपना बयान बदलते अदार पूनावाला को सुनकर गुलज़ार गुनगुनाते लेते कि,
           
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए’तिबार किया

 

           तो वसीम बरेलवी भी हर बार उसकी बातों में आकर कह देते,
          
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से
मैं ए’तिबार न करता तो और क्या करता

 

           फिर कोरोना काल मे परिस्थिति का जायज़ा लेने हेलीकॉप्टर से जा रहे नेता को देख अकबर इलाहाबादी तंज़ करते कि,
               
क़ौम के ग़म में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ
रंज लीडर को बहुत है मगर आराम के साथ    

 

          और आखिर में लाखों लोगों की मौत के बाद वैक्सीन आने की खबर सुन दाग़ देहलवी आसमान की और देख कहते,

न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बहुत देर की मेहरबाँ आते आते

 

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