ज़रा सी चोट क्या आई कलाई पे मुजे याद आ गया दुपट्टा तेरा

मेरी नहीं होती तो किसी और की हो जाओ की तुम्हे यूह तन्हा देखकर अच्छा नही लगता

शाहजहाँ से बढ़कर हूँ आशिक़, पर दौलत के तराजू में इश्क़ तोला न करे तू बेवफाई कर रहा है पर दुआ करना कि में तुजसा हो जाऊ खुदा न करे

दिल की मस्जिद से यादो की अज़ान लगी है चल यार उसकी गली में सजदा कर आये

कहीं ना कहीं कुछ तो बात और है तुममे वरना तुमसे पहेले भी जो थी , हसीन थी

हर शाम एक उसे ही क्यों सोचते हो तुमने मोहब्बते और भी की थी

तेरा बदन तो हुस्न का करिश्मा है मगर हमसा दिल भी खुदा कभी कभी बनाता है

बड़ी मुश्किल से फिर हमने बात बदली यारो ने तो कर ही दिया था ज़िक्र तेरा

माना की आप के रहन सहन के तरीके नवाबी है पर हम खराबो से भी मिलते रहो तो क्या खराबी है