जैसे जैसे उम्र गुज़रती हैं, एहसास होने लगता हैं, माँ बाप हर चीज़ के बारे में सही कहते थे।

लोग उपवास सिर्फ अन्न का करते हैं जबकि दिल मे जहर लोभ, लालच, क्रोध, बुरे विचार ही घोलते हैं.

याद रहे तारिफो के पुल के नीचें हमेशा मतलब की नदी बहती है.

ऊधार दीजिए मगर सोच समझकर क्योंकि अपने ही पैसे भिखारी की तरह मागने पडते हैं.

इज्जत किसी इंसान की नहीं होती, जरूरत की होती है, जरूरत खत्म, इज्जत खत्म!

इंसान की बडी अजीब फितरत हैं, मरे हुए पर रोता है, और जिन्दे को रूलाता हैं.

किसी का असली चरित्र तभी सामने आता है जब आप उसके मतलब के नहीं रहते.

सच को अनसुना करते हैं लोग जबकि झूठी बातें को बहुत उछालते हैं लोग.

मतलब मे बहुत ज्यादा वजन होता है तभी तो मतलब के बाद रिश्ते हल्के हो जाते है.

आदमी अच्छा था ये सुनने के लिए पहले मरना पडता है.

लालच और झूठ हर किसी को गद्दार बना देता है.

जब बेटी बीमार हो तो बड़ा दुख होता है, मगर बहू बीमार हो तो ड्रामा लगता है, कड़वा है मगर सच है.