Best Hindi Shayari on Various Emotions and Different Topics

‘Dard’ से लेकर ‘Romance’ और ‘Attitude’ से लेकर ‘Politics’ जैसे विविध विषयो पर लिखी गई कुछ बेहतरीन Hindi Shayari का आनंद उठाये

 

हमसे सिखकर हमें ही वो अदा सिखाता है
हाय ! वो बेवफ़ा अब हमें वफ़ा सिखाता है

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कम्बख़्त धोका तो वो ऑंखे दे गयी
वरना लबो से तो वो कुछ न बोले थे

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मुँह से गाली निकलती है सुनकर अब उसे
वो इक नाम जो कभी आयतों में पढ़ता था

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थमी रहती है उँगलियों में सिगरेट तो कुछ पल जी लेता हूँ
रोज़ छोड़ने की कोशिश में, एक और पी लेता हूँ

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जान जान ही करता है तुझे हर कोई जाना
शायद रखनेवाले ने तेरा नाम बेकार में रक्खा है
तूने वफ़ा के वादे तो बहुत किये पर सिर्फ़ किये
वही ऐब है तुझमे जो सरकार में रक्खा है

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तुम खामोशियो की बात करते हो
यहाँ तो आवाज़े नही सुनी जाती

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मेरी माँ की हर दुआ क़ुबूल न करना ऐ ख़ुदा
वरना कहीं ऐसा न हो कि में ख़ुदा हो जाऊँ

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यूँही देखा करोगे तुम भी मुझे
जिस रोज़ में तस्वीर हो जाऊंगा

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सत्ता में है, सेवा में थोड़ी बाप
वरना क्या बेटा यूँ अकड़ू होता
ख़्वाबों का तन होता तो खादी पर
अब तक अपने भारत का लहू होता

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मेरे लबो से लगनेवाली कोई चीज़ फ़िज़ूल नही
और ये बात तुजसे बढ़कर और कौन जानता है

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कौन बैठा रहता है किसीको याद किए हुए
फ़ुर्सत हो तो हाँ कुछ चहरे से उभर आते है

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मोहब्बत करने से पहले अंदाज़ा लगाते है
अब लोग दिल थोड़ा दिमाग़ ज्यादा लगाते है

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शराब पीते हो और पिलाते हो
क्यो सबको अपने जैसा बनाते है
कभी बेपिये ही बेबाक हो जाना
कभी बहुत पीकर चुप रह जाते हो

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उस काफ़िर ने मुझे खुदा कहा
हाय अब वो मुझे भुला देगा

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हम जी भर के देख ले इन आंखों को
सुना है इन आंखों में समंदर डूबता है

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मेरे सामने वफ़ा का ज़िक्र न कर
मुझको तेरी बेवफाई याद आती है

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होंठो को गुल ज़ुल्फो को बादल कहते है
कहने दो जो कुछ भी हम पागल कहते है
कहती है दुनिया क़यामत बलाए क्या क्या
हम उसको तेरी आँखों का काजल कहते है

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दिल कभी कभी यूँही उदास रहता है
हुआ हो कुछ हर दफ़ा जरूरी तो नहीं

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छूकर तेरे अश्क़ मेरी उँगलियाँ जलने लगी
हुस्न शोला है जज़्बातों में भी आँग रखती हो

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न तमन्नाएँ है न ख़्वाब न उम्मीदें
पूरा होकर कितना खाली हो गया हूँ

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थकी थकी सी ज़िन्दगी ये चाल बदले तो कुछ बात है
साल बदलेगा मगर अब हाल बदले तो कुछ बात है

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पिने बैठे और रखकर हिसाब पिये
ऐसे सख्स से साथ कौन शराब पिये

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मेने उम्रभर चाहा उसे, वो
एक शक़श जो मेरा न हुआ

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बेबस अश्को में बह जाते है शर्म के गहने
फिर आती है बेबाकी इन अश्लील इशारो में
बिस्तर पर है मज़बूरी हालातो के कमरे में
मानवता की लाशें है चक्ले की दीवारों में

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सुब्ह मिले हर शाम मिले
जब चाय मिले आराम मिले

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अपने दिल मुर्ज़ाये ही रहे जब रौशनियों के त्योहार आये
क्या किजे जब गरीबी की नइ गरीबो की दुश्मन सरकार आये

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आज कुछ यूँ बसर रात करेंगे
हम सितारों से तेरी बात करेंगे

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शहर में पिज़्ज़ा बर्गर के चर्चें बहुत है
मगर क्या क्या करे इनमे खर्चे बहुत है
शाम होते ही लारी पे आ गए जिन्होंने
बड़ी होटल के बाहर बाटे पर्चे बहुत है

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कुछ हम भी अपने आप से ख़फ़ा बैठे है
कुछ उसने भी बात न करने की कसम खाई है

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दुपट्टा संभलता नहीं
तुम दिल कैसे संभालोगे

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गलती से बहन कह दो तो चोंक जाते है जिनकी
गुज़री है जवानी ‘चलती है क्या’ की पुकारो में

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इक ही मौसम रहता है अब तो
ये दिल भी मुल्क पराये सा है

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दर्द गाता फिरु ऐसा भी कम-दिल नहीं हूँ मैं
हा तभी तो हमदर्दी के काबिल नहीं हूँ मैं
आरज़ू के दिलपर खंज़र तो वक़्त का देखो
पूछते हो तुम मुझसे पर क़ातिल नहीं हूँ मैं

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पागल सिरफ़िरे लोग अच्छे लगते है
हाँ मुझको मेरे जैसे लोग अच्छे लगते है

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उस शहर ने किसीसे ताल्लुक़ तेरे बाद न रहे
कुछ को मेंने भुला दिया कुछ यूँ भी याद न रहे

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ज़माना भले ही कहे मुझको शायर
मगर आप दीवाना समझे तो अच्छा

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गुजरात की इस ठंड सा है दर्द तेरा
दो चार दिन में हो गया कम और कम

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रुलाकर किसी ने तेरी बात छेड़ी
हँसाकर किसी ने तेरी बात छेड़ी
इरादा ए तर्के सुख़न कर चुका था
कि आकर किसी ने तेरी बात छेड़ी

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होते है जवाँ जिस्मो के सौदे बज़ारो में
मेने बिकते देखा जज़्बातों को हज़ारो में

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ये तलातुम, ये लहरे, ये गौहर है मुझमे पर
प्यासे की आंखों से देखो तो झील नहीं हूँ मैं

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सुनी सुनाई बातोंपर भरोसा नहीं करते
देखो समझदार लोग ऐसा नहीं करते

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ज़ख़्म कोई इश्क़ का ताजा न कोई आरज़ू बाकी
है ज़हालत से ज़रा बढ़कर मुझे दुश्वारियां कुछ

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अभी ढंग से मैँ रुठा भी न था कि
मनाकर किसीने तेरी बात छेड़ी
मुझे हार ने का ज़रा गम न था पर
हराकर किसी ने तेरी बात छेड़ी

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हाँ वो निकला है जब से नाज़ुक है
शायद इक पत्थर मेरे दिल मे था

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मुझमे होंगे जाने कितने ही ऐब कि अक्सर
अम्मी मेरे बचपन की यादों में गुम रहती है

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पकड़कर गरेबाँ है कहती मुझे देखो बस
हाय इस गुस्से को तो मेरी उमर लग जाए

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आखिर आखिर के तेरे सितम का गिला तो है
पर पहले पहले का तेरा वो इश्क़ गज़ब था

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दो चार ग्लास ही तो है पी जायेगे हम
मर के जाना ही है तो जल्दी जायेगे हम
कल रात ही तो तौबा की थी शराब से
पर तू पिलाता है तो पी जाएंगे हम

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कर रहा हूँ आज के ज़ुल्मों सितम की बात लेकिन
काश आनेवाली नश्ले इसको इक अफ़साना समझे

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तू जाहिल है जूठा है और कमीना भी
दे मुझको गाली दे जो सच्चा हूँ मै

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क्यो कहे सिर्फ मोहब्बते है
जिस्म की भी तो कुछ जरूरते हैं.

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यूँ लगे वो शख़्स यूँ है पर
जानने में कुछ जुदा भी हो
खेलता हो तितलियों से और
कुछ किताबें वो पढ़ा भी हो

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कह दिया था में नही दिखाऊंगा मेरी दुनिया
सो अब वो मेरी आँखों से झांकता हैं

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एक से बढ़कर एक होंगे शायर शहर में तेरे
और तेरी निगाह एक आशिक़ को तड़पेगी

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कटते जो हम पर यूँ ही उठते हाथ
तो पहले क़ानून का बाज़ू होता
ये दिल भी सरकारी है कहता है
मेरे बस में होता तो यूँ होता

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हाथो में नही है वो लकीरें हटा दी जाए
मेरे सामने से तेरी तस्वीरें हटा दी जाए

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तुम निकालो उतनी गलतियाँ निकले
ये मेरा लिखा है खुदा का लिखा

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सब दफ्तर वफ्टर हो गए खाली
सबने ठेले की बाहों में बाहे डाली
मंदिर मस्जिद मेला सा, कोई
बोले रामा रामा कोई या अली

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फूल तो सुर्ख़ है फिर ये खुसबू कहाँ से आई है
लगता है तेरे हुस्न को छूकर हवाएं महकने लगी

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जिसके अच्छा जाने की थी उम्मीद मुझे
दिन अक्सर वो ही मुस्कुराए बग़ैर गुज़रा

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जाने की किस से हमारा गम मिलता है
देखो महेफिल में किधर से वाह निकले

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पियो कि जन्नत की पड़े जल्दी आदत
शायद वहाँ इंकार गुनाह निकले

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हमनवाई लगती है जी-हजूरी मुझे तो ये
है गिला की तेरी ज़फाका बिस्मिल नहीं हूँ मैं
क्यो न कोई मुझसे बढ़कर आगे चला जाये
एक रास्ता हु जब कोई मंज़िल नहीं हूँ मैं

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अपने किये से वो पशेमाँ है तो हम
यहाँ ज़ख्म सहलाए उधर आह निकले

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ना उम्मीदी ऐ दिल का आलम न पूछ मुझसे
सितारा भी टूते तो कोई ख्वाहिश नही करता

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गिला तो ये कि तुम बहोत जल्द बदल गए
वरना वक़्त के साथ बदलता कौन नहीं

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रुखसत हो रही दो उदास आँखे
वो शाम इतनी याद है फिर याद नहीं

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जाने लगा हूँ होश में अब मयख़ाने से
क्या हो गया हैं तेरी निगाहों को साक़ी

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hindi shayari for kids

नाज़ुक कंधो से किताबो का बोझ हटा दिया जाए
बच्चे यही खेलेंगे ये पडोशी को भी बता दिया जाए
ये जगह बच्चो के लिए है इमारत के लिए नही
ऐसा एक board मैदान के बाहर लगा दिया जाए
हर बातपर घर आकर रोने की आवस्यकता नही
करे कोई उंगली तो उसे एक चिपका दिया जाए

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सिर्फ चेहरा देख क्यों कोई बेकाबू होगा
यार तुझमे हुस्न से बढ़कर कोई जादू होगा

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हम थकहार कर सोने वाले लोगो की
इस फुरसत ने तो नींदे उड़ा रक्खी है

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यादोका कोई वास्ता नहीं हिंचकियो से
गर होता तो ये हसीनाएं मर गयी होती

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लफ़्ज़ों से तेरी तस्वीर ही कुछ ऐसी बनाई थी
कि देखकर सबने तेरे घर का पता पूछा

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कल गलती से अखबार में सच लिख दिया था
आज कितना गभराया हुआ वो पत्रकार लगता है

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सिर्फ़ लुत्फ़ कहे आशिक़ी के, ज़फाये नहीं
यूँ अपने पढ़ने वालों से धोका किया मैने

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romantic hindi shayari

हिस्से में जाम नही उनकी नज़र तो आये
आये जिस कदर भी वो इधर तो आये
वस्ल का एक पल भी सदियों चलेगा
मेरे पास उम्रभर नही रातभर तो आये

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देखो बेकार में जब्ते दिल पर नाज़ न करो
यह क्या की पास खड़ी हो और बात न करो

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सिर्फ एक गिलास में बस कर देता है अब
पहले कभी जो समंदर पिया करता था

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वो जो उसूलों की बात करनेवाला था ना
आयी मुसीबत तो सबसे पहले वही पलट गया

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तू कहता है तू खुदा है तो फिर तुजे ख़ुदा होना चाहिये
मैं बुरा हूँ बुरा करता हु मगर तूजे अच्छा होना चाहिये

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मंज़िल तय की और रास्ता ख़रीदकर चले
फिर जो मिला उसे अपना मुरीदकर चले
तक़दीर में पत्थर थे पर अपना हुनर था की
तराशा उन्हें और काबिले दीदकर चले

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खुदपर गुरुर है और क्यो न हो
जिसे तू चाहे उसे हक़ है इतराने का

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फुरसत हो तो उसकी याद क्यों बार बार न आये
ऐ काश की जुदाई के दिनों में ये इतवार न आये

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तूने लिखना छोड़ रक्खा है माही
और उसे नया नया इश्क़ हुआ है शायरी से

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परेशान में भी हु अपनी बेपरवाहियो से
एक तुजे ही है शिकायत ऐसा तो नहीं

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नही है इश्क़ फिर अहद निभाता क्यों है
मुजे देखकर अब भी वो मुस्कुराता क्यो है
अगर ठानली है तर्के ताल्लुक़ की उसने
सबसे छुपकर मुजे मिलने आता क्यो है

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इसी लिए तुमपर हर कोई मरता है
तू गुस्सा भी करे तो प्यार से करता है

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अब तो शराब की कैफियत में भी कमी लगती है
वही पहले से आसमान पहेली सी ज़मीं लगती है

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मैं जलता रहा तो मुझको किसीने देखा नही
हुआ उजाला तो लोग इधर उधर देखने लगे

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अच्छे दिनों का वादा वादा अच्छा था
झूठ थे सारे पर अंदाज़े बयाँ अच्छा था

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यूँ तो यूँ है पर काश कि यूँ होता
तुजसा तो है कोई पर तू होता
अधूरे किस्से में क्या ख़त्म हुआ
पूछता तुजसे गर रूबरू होता

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कहती है तेरी आंखों में इश्क़ नज़र नही आता
शायद निगाहे पढने का उसे हुनर नही आता

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hindi shayari on dard

कल वो वो मुज में से कम हो रहा था
मुजे इस बात का भी गम हो रहा था

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देखते है जिस नज़र से वो हमे
बदगुमानी न हो तो फिर क्या हो

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ना तुमने शायरी की है न शराब पी है
सच कहु तो तुमने ज़िंदगी खराब की है

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फिर ज़ुल्फो को पूरब से पक्शिम् शर्कया होगा
फिर कसी आशिक़ को रास्ते से भात्काया होगा
फिर थामे होंगे वो रेशम से हाथ किसीने
फिर कोई अपनी किस्मत पे इत्राया होगा

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रूठकर वो महेफ़िल से चला जाएगा
कोई उस बेवफ़ा को बेवफ़ा न कहना

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आलम इतना उदास उदास क्यों है
इतने तन्हा लोग आस पास क्यो है

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देखता था जिस नज़र से वो आशिक़ नज़र कहा है
रंगीनिया अब भी है मगर पहला सा तेरा शहर कहा है

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डांट दे जो नाम मय का लूँ
और लहज़े में नशा भी हो
केसरी हो तौर, गोरा रुख़
और तन से वो हरा भी हो
मय – शराब

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सारी बातें उसीकी है ऐसा भी नहीं
कुछ किस्से इश्क़ के अलावा भी है

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तू भी मेरी ही तरह सिगरेट पकड़ती है
देख में आज भी तेरी आदतों में रहता हूँ

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पहले पहले यूँ देखा था तुझको
जैसे बच्चा कोई तितली को देखे

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बात वफ़ा की हुई थी मगर ये नही
की वो वफ़ा करे तो सिर्फ तूमसे करे

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धूप पड़े तो माही छांव में जाना
दिल उदास हो तो गांव में जाना

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इश्क़ बड़ी ही कम्बख़्त चीज़ का नाम है
एक ही दिल सौ बार तुड़वाने का काम है

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एक आशिक़-मिजाज़ शायर की खुशकलामी है वरना
इश्क़ मुश्किल है, सब जानते है, तुम चाहे किसीसे पूछो

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Sarcastic hindi shayari

कभी इसके तो कभी उसके साथ दिखते हो
बताओ तुम ये एक सीने में कितने दिल रखते हो

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बहोत दिन हुए इन दरख्तों की छांव में शाम गुज़ारे हुए
एक जमाना हो गया तेरी याद को कागज़ पर उतारे हुए

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मुश्किल बहोत मुश्किल थी मेरी कोशिश से पहले
लोहा जैसे बहोत सख्त होता है तपिस से पहले

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दिल जब तड़पकर तेरा नाम लेता है
फिर पुरानी तस्वीरों से काम लेता है
अब तो तन्हा चलता हु रास्तेपर में
कौन है जो मेरी उंगलियां थाम लेता है

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hindi shayari on sharab

देख यार यह तो तेरी बेईमानी है
मेंरे गिलास में शराब से ज्यादा पानी है

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क्या कुछ यूह नही हो सकता ऐ खुदा
हम इश्क़ भी करे और दर्द भी न हो

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मेरी ग़ज़ल की उस किताब को मत खोलना
तुम्हे न कह सके ऐसी कुछ बाते कैद है उसमे

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जो किया जब किया गज़ब किया
मेने अपनी मर्ज़ी से सब किया

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बस शराब शराब और शराब दे
साक़ी मेरी तन्हाइयो का जवाब दे

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हुस्न क्या है , अदा क्या है , जफ़ा क्या है
तूने कभी इश्क़ नही किया तुजे पता क्या है

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new hindi shayari

कैसे आवाज़ लबो की हद से गुज़र गयी
बात इधर की थी फिर कैसे उधर गयी

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दिन को बाज़ार बंध करवा रातो में दाम लेते है
ये वही लोग है जो चुनाव में मज़हब का नाम लेते है

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वो जो एक जाहिल सा लड़का फिरता था गलियों में तेरी
सुना है उसने तेरे इश्क़ में ग़ज़लों पे गज़ले लिख दी

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Sad hindi shayari

अब किसे हाले दिल सुनाया जाए यारो
अब किसे अपना हमराज़ बनाया जाए यारो
अपने ही शहर में मुसाफिर हो गया हूँ अब
किसके घर जाकर त्योहार मनाया जाए यारो

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मिट्टी के बर्तन में भरके पानी, चाँद दिखाया जाता था
क्या कहे बचपन मे हम पे प्यार लुटाया लाता था

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सबकी नजर हो रही है उनकी तरफ
क़यामत भी आये तो कोई न देखेगा अब

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मेरी आँखों को देखने का सलीका है
चाहे तो तुम बेनक़ाब आ सकती हो

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कही कुछ गलत हो तो तू बोलता क्यों नही
अगर जवाँ है ख़ून तेरा तो ख़ोलता क्यों नही

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मुझसे वाबस्ता कोई हक़ीक़त है तो तुम हो
बाकी तो सब अफ़साने है और सिर्फ़ अफ़साने

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वो मेरे जाम में पानी डाले जा रहा था
मेने कहा नशे में इतना होश न मिलाओ

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मिलकर उससे पुछू तो ज़रा
हम मर मिटे थे कि उसने मारा हमे

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* All the couplets are written by Bhaumik Trivedi 

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